न चाहते हुए भी कुछ लम्हे छूट गए,
गम तो था उनका छूटना,
शायद दिल को गवारा भी न था,
पर समय के आगे किसकी चली…
वक्त का पहिया,
न कभी रुका और न कभी थमा |
न चाहते हुए भी वो पल छूट गए,
हंसी के फवारे, दोस्तों से मुलाकात
और शायद दिल की गहराई भी,
पर समय के आगे किसकी चली…
वक्त का पहिया,
न कभी रुका और न कभी थमा |
कुछ तो छूटेगा ही
पर उस कुछ के लिए
भाग तो नहीं सकते |
पर एक आस्था…
जो दिल में है और रहेगी
वो लम्हे फिर से आएंगे
बस, दिल में लिए यही तमन्ना
वक्त के साथ वह चल दी…
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